जादु सीखे,how to magic. Part 39
बचपन में जादू का खेल देखना सबको अच्छा लगता है. जादूगर अपने हाथ की सफ़ाई से कुछ चीज़ों को ग़ायब कर देता है. तो कभी रूमाल से कबूतर बना देता है और कभी, इंसान की गर्दन ही अलग कर देता है. जब भी हम जादूगर को कोई जादू करते देखते हैं तो यही सवाल मन में उठता है कि कैसे वह यह सब कर लेता है। कैसे एक खाली बॉक्स से कोई चीज निकाल देता है? कैसे एक बंद बोतल के अंदर कोई चीज पहुंचा देता है? ये अजब करिश्मे देख कर बच्चे तो हैरान होते ही हैं, कई बार बड़े भी इसे सच मान लेते हैं और इसे एक कला के तौर पर देखते हैं. लेकिन सवाल उठता है कि क्या जादू जैसी कोई चीज़ होती है? या नहीं?
लेकिन जिस जगह से हम ना वाकिफ़ होते हैं जहां ये पता ही नहीं होता कि वहां कौन हो सकता है? क्या सामान हो सकता है? तो ऐसे में दिमाग़ किसी किसी चीज़ को छूते हुए कोई तस्वीर बनाता है. कई बार ये तस्वीर एकदम साफ़ होती है. तो, कई बार कोई तस्वीर बन ही नहीं पाती. कहने का मतलब ये हुआ कि हम जो सोचते हैं और जो देखना चाहते हैं, हमारा दिमाग़ उसी दिशा में काम करता है. यानी जादू जैसी कोई चीज़ नहीं होती. हमारा दिमाग़ तो बस किसी के हाथ की सफ़ाई का शिकार हो जाता है. तो हम आपको एक एक जादू का रहस्य दिखाएंगे है। आप भी सीख सकते है और सबको दिखा सकते है। जादु सीखे,
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